सुबह के आठ बजने को थे। रमा अपने दोनों बच्चों का टिफिन बनाकर उन्हें स्कूल बस में बैठाकर लौटी ही थी कि तभी फ़ोन घनघना उठा। बुरा सा मुँह बनाकर उसने फोन उठाया । वह समझ गई थी कि मायके से उसकी मां का फोन ही होगा।
मौके – बे मौके मां का फोन आना और उसकी निजी जिंदगी में बेमतलब हस्तक्षेप करना अब रमा को भारी पड़ने लगा था। उसे उसकी गृहस्थी बिखरती नजर आ रही थी । यदि वह अपनी मां की बात नही मानती थी तो मां नाराज हो जाती और फिर उसके पति रमेश को उल्टा – सीधा सुनाती । इसका सीधा असर उसी पर पड़ता। रमेश अपना सारा गुस्सा रमा पर निकालता। रमा की सासु मां भी उसे जली कटी सुनाती और कहती – पता नही कैसी बहू मिली है।शादी के पांच साल हो गए लेकिन अभी भी अपनी मां के पल्लू से ही चिपकी रहती है। उन्हीं की बात मानती है।
आज तो हद ही हो गई – जब मां ने सुबह सुबह ही फोन करके उसे अलग रहने की सलाह दे डाली।रमा के मना करने पर बिफर गई वे और बोली – कुछ अपने भविष्य के बारे में भी सोच रमा ! कब तक संयुक्त परिवार में पिसती रहेगी। कब तक सास ससुर और देवर की सेवा करेगी । कल जब तेरे पास कुछ नही होगा तो अपने बच्चों की परवरिश कैसे करेगी। बहुत रह ली अपने संयुक्त परिवार में । अब अलग रहकर अपना घर बसा। तुझसे यदि यह सब नही होता तो मैं ही आज रमेश से अलग रहने का बोल देती हूँ ।
ऐसा कहकर रमा की माँ ने फोन काट दिया।
रमा परेशान हो उठी मां की बातें सुनकर। उसे उनका यह हस्तक्षेप नागवार गुजरा और उसने तुरंत ही रमेश को ऑफिस फोन लगाकर सारी बातें बता दी । साथ ही यह भी कह दिया – मां को फोन आये आपके पास तो इस बार उनका बिलकुल भी लिहाज़ नही करना और उन्हें अपने परिवार में अनावश्यक हस्तक्षेप न करने के लिए कह देना। भले ही मां मुझसे रूठ जाए । मुझे किसी भी हालत में अलग नही रहना है। और हां ..भले ही मुझसे मेरी माँ रूठ जाए ..पर मैं अपनी इस मां को नहीं रूठने दूंगी जिनके साथ मैं रहती हूँ और जो मुझे अपनी मां से भी ज्यादा प्यार करती है । आज मैने निर्णय कर लिया है – यहीं मेरी माँ हैं ।
यह कहकर रमा ने फोन रख दिया। उधर रमेश ऑफिस में चाय की चुस्कियाँ लेते हुए अपनी पत्नि के समझदारी भरे निर्णय पर गर्व महसूस करते हुए मंद मंद मुस्कुरा रहा था।
उसने भी निर्णय कर लिया था – आज यदि मांजी का फोन आया तो अब वह उनका लिहाज नही करेगा और आए दिन का अनावश्यक हस्तक्षेप हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर देगा , भले ही अंजाम जो भी हो । अब तो रमा भी मेरे साथ है।
#देवेन्द्र सोनी