जाने ‘हिन्दी गौरव अलंकरण’ के बारे में विस्तार से

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान का प्रतिष्ठित सम्मान

देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए दृढ़ता से कार्य करने वाले प्रतिष्ठित ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ द्वारा हिन्दी भाषा की अनवरत सेवा के लिए प्रदान किए जाने वाला सर्वोच्च सम्मान ‘हिन्दी गौरव अलंकरण’ है। इसकी शुरुआत वर्ष 2020 से हुई है। इस अलंकरण के लिए प्रतिवर्ष दो विभूतियों का चयन दो श्रेणी में किया जाता है, जिसकी एक श्रेणी हिन्दी साहित्य और दूसरी श्रेणी हिन्दी पत्रकारिता है। दोनों ही क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तित्व, जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक हो, उनकी प्राप्त अनुशंसाओं के आधार पर संस्थान की चयन समिति द्वारा हिन्दी गौरव अलंकरण से उन्हें अलंकृत किया जाता है।

ज्ञात हो कि मातृभाषा उन्नयन संस्थान का प्रतिष्ठा प्रसंग हिन्दी गौरव अलंकरण समारोह फ़रवरी माह में प्रतिवर्ष आयोजित होता है। विगत तीन वर्षों से लगातार आयोजित होने वाले समारोह में अब तक कुल 6 व्यक्तित्व अलंकृत हो चुके हैं।

साल 2020 में पहला हिन्दी गौरव अलंकरण समारोह

वर्ष 2020 में इंदौर में वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर की अध्यक्षता और महामण्डलेश्वर दादू महाराज के आतिथ्य में पत्रकारिता से पद्मश्री अभय छजलानी, जो वर्षों तक नईदुनिया जैसे अख़बार के मालिक रहें, उन्हें व अज्ञेय के चौथा सप्तक के कवि श्रेष्ठ राजकुमार कुम्भज को यह अलंकरण प्रदान किया गया था।

वर्ष 2021 में दूसरा हिन्दी गौरव अलंकरण

वर्ष 2021 में डॉ. वेदप्रताप वैदिक के मुख्य आतिथ्य में व डॉ. बी. एल. आच्छा की अध्यक्षता में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, भोपाल के महामंत्री कैलाश चंद्र पंत व देवपुत्र के संपादक तथा साहित्य अकादमी, म. प्र. शासन के निदेशक डॉ. विकास दवे को अलंकृत किया गया था।

वर्ष 2022 का हिन्दी गौरव अलंकरण

इस वर्ष मध्य प्रदेश शासन में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के मुख्य आतिथ्य में व डॉ. वेदप्रताप वैदिक की अध्यक्षयता में वरिष्ठ कहानीकार तथा उपन्यासकार डॉ. कृष्णा अग्निहोत्री व देवपुत्र के सम्पादक कृष्ण कुमार अष्ठाना को अलंकृत किया गया था।

संस्थान द्वारा अलंकरण समारोह मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में फ़रवरी माह में इन्दौर, मध्य प्रदेश में ही आयोजित किया जाता है। इसमें संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ सहित संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी, राष्ट्रीय सचिव गणतन्त्र ओजस्वी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नितेश गुप्ता, भावना शर्मा, सपन जैन ‘काकड़ीवाला’, श्रीमती प्रेम मंगल आयोजन समिति में होते हैं।

संस्थान द्वारा अलंकरण के लिए चयनित विभूतियों को अलंकरण प्रतीक चिह्न, अभिनन्दन-पत्र सहित शॉल, श्रीफल इत्यादि प्रदान किया जाता है।

हिन्दी गौरव अलंकरण की चयन प्रक्रिया

प्रतिवर्ष मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक मंडल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय पदाधिकारियों व प्रदेश अध्यक्षों सहित साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश के निदेशक, इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष व 2 विद्वान साहित्यकारों की चयन समिति द्वारा अलंकरण के लिए प्राप्त अनुशंसाओं में से दोनों श्रेणियों में एक-एक व्यक्ति का चयन होता है।
प्रक्रिया का आरंभ हिन्दी भाषाओं के साहित्यकारों, अध्यापकों, समालोचकों, प्रबुद्ध पाठकों, विश्वविद्यालयों, साहित्यिक तथा भाषायी संस्थाओं से प्रस्ताव भेजने के साथ होता है। इस समिति द्वारा किसी हिन्दी सेवी सुधिजन पर विचार करते समय उसके संपूर्ण कृतित्व का मूल्यांकन तो करना ही होता है, साथ ही, उनके द्वारा हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार के लिए किए गए अवदान और समसामयिक हिन्दी विस्तार की पृष्ठभूमि में भी उसको परखना होता है। प्राप्त अनुशंसाओं में से गहन मन्थन और समग्र चिंतन के उपरांत मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक मण्डल द्वारा अलंकरण के लिए चयन पर अंतिम मुहर लगाई जाती है।

काव्य गौरव अलंकरण भी युवा कवियों के लिए

वर्ष 2021 से हिन्दी गौरव अलंकरण समारोह में पाँच मंचीय हिन्दी कवियों को काव्य गौरव अलंकरण प्रदान किया जाना आरम्भ किया है, जिसमें अब तक प्रथम वर्ष में हिमांशु भावसार हिंद (झाबुआ, मध्य प्रदेश), गौरव साक्षी (इन्दौर, मध्य प्रदेश), महेन्द्र पंवार (धरमपुरी, मध्य प्रदेश ), शुभम त्यागी (मेरठ, उत्तर प्रदेश) और अपूर्वा चतुर्वेदी (भोपाल, मध्य प्रदेश) को प्रदान किया गया।
द्वितीय वर्ष में अमित मौलिक (जबलपुर), राम भदावर (इटावा, उत्तर प्रदेश), धर्मेन्द्र सोलंकी (भोपाल, मध्य प्रदेश), अमित शुक्ला (रीवा, मध्य प्रदेश) और पंकज पण्डित (ललितपुर, उत्तर प्रदेश) को काव्य गौरव अलंकरण से सम्मानित किया जा चुका है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।