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होली पर्व रंगों का त्योहार है
पिचकारी पानी की फुहार है
अबीर गुलाल गली बाजार है
मस्तानो की टोली घर द्वार है
हिरण्य कश्यप का अभिमान है
होलिका अग्नि दहन कुर्बान है
प्रहलाद की प्रभुभक्ति महान है
श्रद्धा व विश्वास का सम्मान है
अग्नि देव का आदर सत्कार है
वायु देव का असीम उपकार है
लाल चुनरिया भी चमकदार है
प्रह्लाद को भक्ति का पुरस्कार है
मस्तानों की टोली रंगो के साथ है
वर्धमान के पिचकारी रंग हाथ है
लाल,हरा, नीला,पीला रंग माथ है
राधा रंगी प्रेम रंग में कृष्ण नाथ है
स्वादिष्ट व्यंजन गुंजियाँ तैयार है
पकौड़ी खाजा,पापड़ी भरमार है
गेहूँ चने की बालियाें की बहार है
अाग पके धान प्रसाद,स्वीकार है
जग में प्रेम का रस बरसाना है
दीन दु:खियों को गले लगाना है
सद्भाव के प्रेम दीप जलाना है
होली पर ‘रिखब’ का तराना है
#रिखबचन्द राँका
परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl
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