जबसे बदरू ने सुना है कि,पाकी ने परमानू बम मारने की धमकी दी है उसकी नींद उड़ गई है। बीवी तो बीवी है,उसकी चिंता ये है कि बदरू दो दिन से सो नहीं पाए हैं। जब वो नहीं सो पाए हैं तो जाहिर है कि वह भी नहीं सो पा रही है। जब दोनों नहीं सो पा रहे हैं,तो क्या करेंगे सिवा बातों के। बदरू का ही एक शेर है कि,‘जब नींद न आए तो बातें कर, कोई न हो तो बदरू से कर’। बदरू जब जागते हैं तो खुद से ही बातें करते हैं। उनकी इसी आदत से परेशान घरवालों ने ही उन्हें अफीम की लत लगा दी..लेकिन आज बात अलग हैlपाकी के पास परमानू है और उन्हें लग रहा है कि वो सीधे उनके उपर गिराने वाला है। यही चिंता उन्हें खाए जा रही है कि,पाकी के परमानू से कौन-कौन मरेगा। साइंस से सब कुछ मुमकिन है, अमरिक्का अपने घर में बैठे-बैठे दूसरे मुल्क में किसी के ख्वाबगाह पर निगाह रख लेता है तो फिर क्या छुपा है किसी से। इतनी तरक्की के बारे में तो उन्होंने कभी सोचा नहीं था वरना आज चौदह बच्चों के बाप होकर बेइज्जती के खतरे से सराबोर नहीं रहते। पता नहीं,नामाकूलों ने क्या-क्या नहीं देखा। चलो देखा सो देखा,उनको देखे से कुछ हमने सीखा और हमें देखे से वो कुछ सीख लेंगे। इसमें कोई दिक्कत नहीं है,लेकिन साइंसदानों कुछ इल्म और हासिल करना था। पाकी वाले जो परमानू मारेंगे,उससे बदरू नहीं मरे इसका कुछ इंतजाम होना चाहिए या नहीं। अगर यों उठा के मार दिया तो बिरादरान भी मारे जाएंगे! साइंसदानों को कोई ऐसा बम बनाना चाहिए था जो धर्म-ईमान देख कर फटे। तब तो मानें कि,सही मायने में तरक्की हुई। पाकी कहता है कि,हिन्दुस्तान में हमारे भाई रहते हैं और कल अगर परमानू मार दिया और भाई लोग ही फना हो गए तो!! बम तो बम है भई, बोले तो पक्का सेकुलर। मारने को निकले तो फिर कुछ देखे नहीं, न धरम न जात। आधे जन्नत जाओ, आधे सरग में और बाकी धरती पर पड़े सड़ते रहो। पाकी के हाथ में परमानू का मतलब है,किसी बंदर के हाथ में उस्तरा..। मालूम पड़े किसी दिन परेशानी की हालत में परमानू से ही सिर ठोंक लिया उसने। जो नादानी में बंटवारा करके पाकी बना सकते हैं,वो परमानू से सिर नहीं ठोक सकते हैं। अब आप जान गए होंगे कि बदरू को नींद नहीं आने का कारण वाजिब है। दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में हैं और उनका पड़ौसी, जिसका दावा है कि वो उनका खैरख्वाह है, भाई है, वही उन पर परमानू तरेर रहा है। माना कि,सियासत में भाई का भाई नहीं होता है लेकिन बदरू को अपने चौदह बच्चों और दो बीवियों की फिक्र भी है। कल को परमानू सीधे आकर उनके सिर पर गिर गया और दूसरी दुनिया नसीब हो गई तो पता नहीं बीवी-बच्चों को मुआवजा मिले या नहीं मिले। एक जिम्मेदार आदमी फिक्र के अलावा और कर भी क्या सकता
है..और आप समझ सकते हैं कि फिक्रमंद आदमी को नींद कैसे आ सकती है।
मुर्गे ने बांग दी, सुबह हो गई। बदरू ने बीड़ी सुलगाते हुए बीवी से कहा-` पाकी के परमानू की चिंता में बदन गल-सा गया है,आज इस मुर्गे को बना लेना।`
#जवाहर चौधरी
परिचय : जवाहर चौधरी व्यंग्य लेखन के लिए लम्बे समय से लोकप्रिय नाम हैl 1952 में जन्मे श्री चौधरी ने एमए और पीएचडी(समाजशास्त्र)तक शिक्षा हासिल की हैl मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इन्दौर के कौशल्यापुरी (चितावद रोड) में रहने वाले श्री चौधरी मुख्य रूप से व्यंग्य लेखन,कहानियां व कार्टूनकारी भी करते हैं। आपकी रचनाओं का सतत प्रकाशन प्रायः सभी हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में होता रहता हैl साथ ही रेडियो तथा दूरदर्शन पर भी पाठ करते हैं। आपकी करीब 13 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं,जिसमें 8 व्यंग्य संग्रह,1कहानी संग्रह,1लघुकथा संग्रह,1नाटक और 2उपन्यास सम्मिलित हैं। आपने लेखन को इतना अपनाया है तो,इसके लिए आप सम्मानित भी हुए हैंl प्रमुख पुरस्कार एवं सम्मान में म.प्र.साहित्य परिषद् का पहला शरद जोशी पुरस्कार आपको कृति `सूखे का मंगलगान` के लिए 1993 में मिला थाl इसके अलावा कादम्बिनी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रतियोगिता में व्यंग्य रचना `उच्च शिक्षा का अंडरवर्ल्ड` को द्वितीय पुरस्कार 1992 में तो,माणिक वर्मा व्यंग्य सम्मान से भी 2011 में भोपाल में सराहे गए हैंl 1.11लाख की राशि से गोपालप्रसाद व्यास `व्यंग्यश्री सम्मान` भी 2014 में हिन्दी भवन(दिल्ली) में आपने पाया हैl आप `ब्लॉग` पर भी लगातार गुदगुदाते रहते हैंl