मतलब की दुनिया सारी है। देखो कैसी बीमारी हैll    बेटे बसे विदेश कमाएं, घर में बेबस महतारी हैll    सर्दी पूछो उससे जिसने, नभ नीचे रात गुजारी हैll    निर्धन वंचित उससे जो भी, बनी योजना सरकारी हैll    धागा बाँधा मंत्र जपे जब, गुरु पर सुना राहू […]

  जिसने साहस,धैर्य से,किया  लक्ष्य संधान। पथ प्रशस्त उसका हुआ,मिली उसे पहचान॥ कामयाब वह ही हुआ,जिसके दिल में चाह। मंजिल तक लेकर गई,कहो किसे कब राह॥ पथ का संबल प्रेम यदि,रहे पथिक के पास। मुश्किल झंझावात से,होता  नहीं उदास॥ मार्ग वही होता उचित,जो सिखलाए प्रीति। साथ अकिंचन के रहे,दूर करे […]

सजना करवा चौथ है,नहीं मात्र उपवास। पत्नी का पति प्रेम ये,बात एक यह खासll   बात एक यह खास,पत्नियाँ भूखी रहकर। पति की लंबी उम्र,माँगती हर दुख सहकरll    मुझे न जाना छोड़,नाम बस  मेरा भजना। सात जन्म का साथ,निभाना मेरे सजनाll                  […]

जिंदगी एक सफर है,इसमें चलते रहना पड़ता है, कभी धूप-कभी छांव, तो कभी बारिश में भी आगे बढ़ना रहता है। आएंगे राहों में गड्ढे बड़े-से-बड़े,उनमें से कुछ को पार, तो कुछ में से होकर ही निकलना पड़ता है। अब… माना कि आप नहीं हैं, पैदल चलने के शौक़ीन, नहीं सुहाती […]

(आधारछंद,विधान-२२ मात्राएँ) रहे  भले  ही  दूर,मगर  उर  पास  रहे, जीवन कुसुमित पुष्प,सदा मधुमास रहेl प्रिय कलिका सौंदर्य,बसाएँ अंतस में, खिले अधर मुस्कान,हृदय उल्लास रहेl सदा धीर-गंभीर,प्राप्त अवसादों को, चलें उम्र को भूल,अधर परिहास रहेll जुड़े हृदय के तार,विलगता विस्मृत हो, वह है  सच्चा  प्रेम,जहाँ  विश्वास  रहेl पंचम स्वर की तान,बनाती […]

डाले झोला घूम रहे जो,सत्ता के  गलियारों में। उनका सपना पहुँच बने बस,दिल्ली के दरबारों में॥ भूखे-नंगे जन को देना,वाणी उनका काम नहीं। बैठे-बैठे वे सिर पीटें,छपा कहीं यदि नाम नहीं॥ वे तो केवल चाह रहे यह,छपें रोज अखबारों में। डाले झोला घूम रहे जो….॥ चरण वंदना उनकी आदत,आगे-पीछे घूम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।