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पितृ अमावस्या आयी।
करते सब पितृ विदायी।।
आयेगी नवरात्रि अब।
घर घर मे हो भक्ति तब।।
नौ दिन करते उपवास।
न करे कोई उपहास।।
ज्योति जलाये प्रेम से।
व्रत मनाये स्नेह से।।
भाव से भेंट चढ़ाये।
माँ की आरती गाये।।
झूमे सभी मस्ती में।
गरवा खेले भक्ति में।।
करें नही कोई पाप।
न हो कोई संताप।
होगी सभी पूर्ण आस।
करें यही दृढ विश्वास।।
संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात।।
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