इंकलाब लिखने की चाहत

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vivekanand vimal

इंकलाब लिखने की चाहत फिर से अब जाग रही है मेरी।
सुला रखा था जिसने,नींद वो अब भाग रही है मेरीll

तम की काल कोठरी से धीरे-धीरे निकल रहा हूँ मैं।                                           धोने भारत मां के चरणों को,फिर से हो विकल रहा हूँ मैंll

सीने में लौ जो जल उठी है मेरे, इसे बस अब धधकता शोला बनने दीजिए।
छंट जाए न जब तक ये तम के बादल, तब तक इसे बस जलने दीजिएll

फिर ऊर्जा का विस्फोट होगा मेरी शिराओं से भी।                                             कुचले जाएंगे फिर विधर्मी मेरी दक्ष भुजाओं से भीll

बंदूक से न हो सके गर, तो शब्दों से ही आतताईयों पर वार करुंगा।                      वीर सपूतों का सीना छलनी करने वालों का, पल-पल प्रतिकार करुंगाll

सीमा पर तो शहादत का सौभाग्य नहीं मिल सकता सबको।
हो जाएं सब शहीद केवल,यह भी तो मंजूर न होगा रब कोll

परंतु,भले सीमा पर शहीद नहीं हो सकता मैं, राष्ट्र के लिए तो जी ही सकता हूँ।
हानि हो जिससे मां भारती की इस पावन भू को, वो विष तो पी ही सकता हूँll

इसलिए करनी होगी तैयारी मुझको, सीमा के भीतर ही लड़ने की। घर के भेदी जो छुपे बैठे हैं घर में ही, उनसे पहले भिड़ने कीll

डर है मुझको बस इतना कि,फिर कहीं देर न हो जाए।
मेरे जागने से पहले ही कहीं अंधेर न हो जाएll

                                                   #विवेकानंद विमल ‘विमर्या’

परिचय:विवेकानंद विमल का साहित्यिक उपनाम-विमर्या
हैl आपकी जन्मतिथि-१६ जनवरी १९९७ तथा जन्म स्थान-ग्राम माधोपुर(पोस्ट-पाथरौल,जिला-देवघर,झारखंड) हैl वर्तमान में भी झारखंड राज्य के पाथरौल(शहर मधुपुर) में बसे हुए हैंl गिरिडीह से फिलहाल एम.ए.(अंग्रेजी) में अध्ययनरत हैंl बतौर विद्यार्थी विमर्या की लेखन विधा-कविता व लेख हैl इनकी उपलब्धि यही है कि,अनेक समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नवीन कविताओं व समसामयिक विषयों पर लिखे आलेख का नियमित प्रकाशन होता रहता हैl काव्य पाठ के लिए झारखण्ड में ‘सारस्वत सम्मान’ से सम्मानित किए गए हैंl ब्लॉग पर भी सक्रिय विमर्या के लेखन का उद्देश्य-निराशा से निकलकर समाज में आशावाद की ज्योति जलाना हैl

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।