`जसोदा`…..अम्माँ जी की काम वाली बाई,प्रश्नवाचक आश्चर्य से देखती हुई कुछ पूछे,उसके पहले ही अम्माँ जी ने स्पष्टीकरण कर दिया…l
`सुन …! सामने वाली सुनीता ने दीए तो ले लिए पचास,
पर रुई बाती बनाने का टाइम बिलकुल न है उसके पास।
और दीवाली के दिनों में बाती बनाकर रखना मेरा टाइम पास है।
तेरे को पैसे की बहुत ज़रूरत है न! और मेरे से मदद की,वो भी उधार नहीं…तो ऐसा कर। ये पचास बाती का पैकेट विनीता को बेच आ-कहना बीस रुपए का है।
उससे पैसे लेकर तू रख लेनाl
तुझे पैसे मिलेंगे,और मुझे आत्मसंतोष। विनीता के सारे दीए भी जल सकेंगे।
सही है न!`
अब जसोदा निरूत्तर थी।
#कुसुम सोगानी
परिचय : श्रीमती कुसुम सोगानी जैन का जन्म १९४७ छिंदवाड़ा (म.प्र.) में हुआ है|आपने शालेय शिक्षा प्राप्त करने के बाद बीए(इंग्लिश व अर्थशास्त्र),एमए(हिंदी साहित्य),एमए(समाजशास्त्र) व विशारद(हिन्दी साहित्य रत्न) किया हैं| साथ ही इलाहाबाद (हिन्दी प्रचारिणी सभा) से संस्कृत मे कोविद्, सुगम गायन-वादन और झुंझुनू (राजस्थान)वि.वि.से पीएचडी जारी है|आप हिन्दी साहित्य,अंग्रेज़ी भाषा, संस्कृत,मारवाड़ी और राजस्थानी सहित गोंडवाना भाषा ही नहीं, मालवीभी लिखना-पढ़ना तथा अच्छा बोलना जानती हैं| आप आकाशवाणी इंदौर में कई कार्यक्रमों का संचालन कर चुकी हैं| यहाँ सालों तक कई कहानी प्रसारित हुई है| आपकी अभिरुचि रचनात्मक लेखन और कहानी कविता भजन तथा जैन धर्म के विषय पर लेखन में है| कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होने के साथ ही आप कई सामाजिक-धार्मिक संस्थानों मे सहयोगी के रूप में सक्रिय है |आपका निवास इंदौर में है|
Very very good.
5 thumbs up.
बहुत ही बढिया लेखन ,शार्ट एन्ड स्वीट पर बहुत बडा मैसेज
Superb. Very nice story.
Five Up.
Superb. Thumbs up.
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