हाँ,माना हार के बाद ही जीत हैl
आत्महत्या करना कौन-सी रीत हैll
दो-चार मुश्किलों से तुम डर गएl
उनको भी याद कर जिनके घर गएll
तनाव, पढ़ाई का दवाब, अवसाद, बदनामी सेl
कुछ के हिस्से में आई मौत गुंडागर्दी सेll
माँ-बहनों की ओढ़नी इतनी सस्ती हो गई हैl
कि बेटे-बेटियां खुदकुशी करने लग गई हैll
युवाओं में कैसी बुद्धि, कैसे संस्कार हैंl
इससे अच्छे तो छोटे बच्चे समझदार हैंll
कोई खुद के लिए,कोई परिवार के लिए पढ़ता हैl
सुकून के लिए ही कोई अपनी जान ले लेता हैll
इस तरह तनाव से हार रही है जिंदगीl
नौकरी,विवाह,तो कोई रो के जी रहा है जिंदगीll
हर हार हमें जीत के लिए सबक देती हैl
जिंदगी खोने के बाद ही कीमत समझ आती हैll
संघर्ष करो तुम जिंदगी के मैदान मेंl
मुसीबतों से यूँ न हारो तुम इम्तिहान मेंll
माता-पिता, गुरु के विचारों की तरफ देखोl
तुम परिवार की जरूरत हो, वो भी तो सोचोll
पैसा हो या नहीं, फिर भी करते हैं आत्महत्याl
पिता का नहीं सोचते,कितनी मुश्किल से पढ़ायाll
अपनों का गुस्सा भी कभी-कभी लाज़मी हैl
जो हँसकर सह ले वही नेक आदमी हैll
नादां हैं वो लोग जो करते हैं खुदकुशीl
मरो, मारो वतन के लिए उसमें है खुशीll
संस्कृति, संस्कार का कुछ तो ख़याल कीजिएl
बात बिगड़े कभी भी, तब ही सम्भाल लीजिएll
खुश रहो, स्वतंत्र रहो, व्यक्तित्व बनाओl
अच्छी बातें सीखो, दूसरों को भी सिखाओll
#प्रवीण गहलोत(अरमान बाबू)
परिचय : प्रवीण गहलोत राजस्थान के जोधपुर से हैं l आप लेखन में उपनाम-अरमान बाबू लिखते हैंl हिन्दी के साथ ही उर्दू में भी रचना लिखते हैंl आपकी रुचि कविता,नज़्म,गीत और ग़ज़ल लेखन में हैl