आत्महत्या

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praveen gahlot
हाँ,माना हार  के बाद  ही  जीत   हैl
आत्महत्या   करना   कौन-सी       रीत    हैll

दो-चार     मुश्किलों     से    तुम     डर    गएl
उनको   भी   याद   कर    जिनके  घर    गएll

तनाव, पढ़ाई  का  दवाब, अवसाद, बदनामी  सेl
कुछ  के  हिस्से   में  आई   मौत   गुंडागर्दी   सेll

माँ-बहनों   की  ओढ़नी  इतनी सस्ती  हो  गई  हैl
कि  बेटे-बेटियां  खुदकुशी  करने लग   गई   हैll

युवाओं   में   कैसी   बुद्धि,   कैसे   संस्कार    हैंl
इससे   अच्छे    तो  छोटे   बच्चे समझदार  हैंll

कोई खुद के लिए,कोई परिवार के लिए पढ़ता हैl
सुकून के लिए ही  कोई अपनी जान  ले लेता हैll

इस   तरह   तनाव   से    हार   रही   है   जिंदगीl
नौकरी,विवाह,तो कोई रो  के जी रहा  है  जिंदगीll

हर   हार  हमें  जीत  के   लिए  सबक   देती   हैl
जिंदगी खोने के बाद ही कीमत समझ  आती हैll

संघर्ष    करो    तुम    जिंदगी     के   मैदान    मेंl
मुसीबतों  से  यूँ   न   हारो   तुम   इम्तिहान   मेंll

माता-पिता, गुरु  के   विचारों   की  तरफ   देखोl
तुम  परिवार  की  जरूरत  हो, वो भी तो  सोचोll

पैसा  हो  या  नहीं, फिर  भी  करते हैं  आत्महत्याl
पिता  का  नहीं सोचते,कितनी मुश्किल से पढ़ायाll

अपनों  का  गुस्सा   भी  कभी-कभी  लाज़मी  हैl
जो  हँसकर  सह   ले   वही  नेक  आदमी   हैll

नादां   हैं   वो   लोग   जो   करते    हैं   खुदकुशीl
मरो, मारो   वतन   के   लिए    उसमें  है  खुशीll

संस्कृति, संस्कार का  कुछ  तो ख़याल  कीजिएl
बात  बिगड़े कभी  भी,  तब ही सम्भाल  लीजिएll

खुश   रहो,   स्वतंत्र   रहो,   व्यक्तित्व    बनाओl
अच्छी   बातें   सीखो, दूसरों   को   भी   सिखाओll

                                                  #प्रवीण गहलोत(अरमान बाबू)
परिचय :  प्रवीण गहलोत राजस्थान के जोधपुर से हैं l आप लेखन में उपनाम-अरमान बाबू लिखते हैंl हिन्दी के साथ ही उर्दू में भी रचना लिखते हैंl आपकी रुचि कविता,नज़्म,गीत और ग़ज़ल लेखन में हैl 
                                                                     

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।