माँ भारती अखंड हो

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pradeepmani
वरेण्य मातृभूमि की प्रचंड पुण्यभूमि की अखंड साधना करें।
कश्मीर में प्रभुत्व शान्ति सौम्यता के भाव हों ये भावना करें॥

हिन्दुत्व का प्रभाव हो,प्रचार हो प्रसार हो न कि दुष्प्रचार हो।
कश्मीर है अभिन्न अंग देश का समग्रता से मन में ये विचार हो॥

माँ भारती के ताज में न आँच आ सके, कभी वतन में निज स्वराज हो।
ललकार गूँजते हैं स्वर,स्वराज संग दे, सकें अगर तो हम सुराज हो॥

ये मानवीय प्राकृतिक सम्पदा अभिन्न है अमूल्य मूल्यवान है।
उदार हाथ में प्रबंध,बंध हो,निबंध हो,ये विश्व में निधान है॥

ये हिन्द की धरा पवित्र पुण्य देवभूमि है जगत में ये महान है।
हमारे देश की धरा,बसुन्धरा,ये हमारी शान और आन-बान है॥

अखंडता बनी रहे,प्रचंडता बनी रहे,विधर्म का विनाश हो।
विश्व मानवीयता,सनातनी परंपरा,हो पल्लवित विकास हो॥

विधर्म खंड खंड हो,विध्वंस भी प्रचंड हो,चूर अब घमंड हो।
संघ शक्ति कलयुगे,विध्वंस न विखंड हो,माँ भारती अखंड हो॥

राणा शिवाजी के सदृश,ये हिन्द भूमि के युवा,शौर्य भी ज्वलंत हो।
शत्रु दल में चीत्कार,जब मचे है काट मार,नाद दिग् दिगंत हो॥

चलो कदम बढ़ा चलो,ऐ हिन्द देशवासियों,हम उत्सर्ग कामना करें।
मौत घाट दें उतार,शत्रु तार-तार हो, खून की नदी बहे,हम ये भावना करें॥

मौत भागकर खड़ी,हम से है नहीं बड़ी,अविचल आराधना करें।
काल में अकाल में,दमक रहेगी भाल में,हम मृत्यु साधना करें॥

                                                   #प्रदीपमणि तिवारी ‘ध्रुवभोपाली’
परिचय: भोपाल निवासी प्रदीपमणि तिवारी लेखन क्षेत्र में ‘ध्रुवभोपाली’ के नाम से पहचाने जाते हैं। वैसे आप मूल निवासी-चुरहट(जिला सीधी,म.प्र.) के हैं,पर वर्तमान में कोलार सिंचाई कालोनी,लिंक रोड क्र.3 पर बसे हुए हैं।आपकी शिक्षा कला स्नातक है तथा आजीविका के तौर पर मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय(सचिवालय) में कार्यरत हैं। गद्य व पद्य में समान अधिकार से लेखन दक्षता है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते हैं। साथ ही आकाशवाणी/दूरदर्शन के अनुबंधित कलाकार हैं,तथा रचनाओं का नियमित प्रसारण होता है। अब तक चार पुस्तकें जयपुर से प्रकाशित(आदिवासी सभ्यता पर एक,बाल साहित्य/(अध्ययन व परीक्षा पर तीन) हो गई है।  यात्रा एवं सम्मान देखें तो,अनेक साहित्यिक यात्रा देश भर में की हैं।विभिन्न अंतरराज्यीय संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त इंडो नेपाल साहित्यकार सम्मेलन खटीमा में भागीदारी,दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी की है। आप मध्यप्रदेश में कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।साहित्य-कला के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।