पेंटिंग

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vijayanand

विजयानंद विजय

ट्रेन का एसी कोच — जिसमें आम तौर पर सम्पन्न लोग ही यात्रा करते हैं।आमजनों
के लिए तो यह शीशे-परदे और बंद दरवाजों के अंदर की वो रहस्यमयी दुनिया है,
जिसके बारे में वे जानते तक नहीं हैं।
एक परिवार आमने-सामने की छ: सीटों पर अपने पूरे कुनबे के साथ यात्रा
कर रहा था।साथ में करीब छ: से बारह वर्ष की उम्र के चार छोटे-छोटे बच्चे भी
थे। उनकी चहलकदमी और चुहलबाजी निर्बाध रूप से जारी थी। बीच-बीच में उनके
मम्मी-पापा बस इतना बोलते-” गिर जाओगे,बेटा। संभलकर। “- और फिर वे आपस में
अंतहीन बातचीत में तल्लीन हो जाते। वह सामने वाली सीट पर बैठा उनकी गतिविधियां
देख रहा था। ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ चुकी थी। तभी उनमें से एक बच्चे ने अपनी
ड्राइंग की कॉपी निकाली और सबको दिखाने लगा – ” देखो। मेरी पेंटिंग। ” देखते
ही देखते दूसरे, तीसरे और चौथे बच्चे ने भी अपनी-अपनी पेंटिंग की कॉपियां
निकाल लीं और एक – दूसरे को दिखाने लगे। वे आपस में बातें कर रहे थे – ”
देखो। झरना–पेड़–नदी–नाव–हिरण–स्कूल–प्लेग्राउंड–रोड–खेत–गांव–घर !”
” तुमने गांव देखा है?” सहसा उसने उनमें से सबसे बड़े बच्चे से पूछा।
” नो….। ” सभी बच्चों ने उसकी ओर देखते हुए समवेत स्वर में कहा।
” क्यों?” उसने फिर पूछा।
” गांव !…..! विलेज !…..! वो गंदी-सी जगह !…..!भैंस–कीचड़–गोबर ? हाऊ
डिसगस्टिंग ! ” बड़े बच्चे ने अजीब-सा मुँह बनाते हुए कहा।
” फिर ये पेंटिंग्स तुमने कैसे बनाई ? ” उससे पूछे बिना नहीं रहा गया।
” फिल्मों–टी वी–किताबों में देखा,उससे! ” एक बच्चे ने तुरंत जवाब दिया।
वह सोच में पड़ गया – कैसे, एक पूरी पीढ़ी अपनी जमीन से पूरी
तरह कट चुकी है। जमीनी सच्चाई से काफी दूर जा चुकी है और संस्कृतियों को
जोड़ने वाला पुल ध्वस्त हो चुका है।

 

लेखक परिचय : लेखक विजयानंद विजय बक्सर (बिहार)से बतौर स्वतंत्र लेखक होने के साथ-साथ लेखन में भी सक्रिय है |

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।