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मौसम है,
सावन की बहारों का
मौसम है,
नदी के किनारों का
मौसम है,
दिल में धड़कते
मोहब्बत के अंगारों का।
काली घटाओं का
अंबार है,
बदली और बादल का
बरसने का इंतजार है,
दो दिलों के मिलने का
इजहार है,
कह दो न
सावन की बहारों से
मुझे तुमसे
प्यार है,
नगद नहीं तो
‘उधार’ है।
आर.डी.वैरागी
परिचय : रमेश दास वैरागी सेवानिवृत्त कनिष्ठ लेखा अधिकारी हैं जो आदिवासी विकास विभाग(झाबुआ) में कार्यरत थे।
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