कविता – जय श्री राम

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जो स्वप्न देखें सनातनियों ने, पूरे होते दिखे वे अयोध्या नगरी में।
सब सज्जनों, सनातनियों का आनंद मानो राम–मंदिर के रूप में पूर्ण हुआ।
मंदिर बनाने में कष्ट लिए, उपाय बहुतेरे किये तब स्वप्न पूरे हुए।

जहाँ बहती सरयू नदी, साक्षी हुए सकल जन इस युगे।
चल दिए दर्शन लेने रामलाल के आमजन, संत, महात्मा, ऋषि, मुनि, महायोगी।
देवों के देव श्रीराम, राम राम।
मंदिर शिखर पर भगवा झंडा लहराया।
मंगल गान हुए, जय घोष हुए, जय श्री राम के नारे के कल्लोल चारों दिशाओं में उठे।
आम जन धन्य-धन्य हुए।
भेदभाव दूर हुए, श्री राम कर्ता-धर्ता, भक्तों को जिन्होंने दर्शन दिए निर्मल सब के मन हुए।
सब दिया श्री राम का, श्री राम के चरणों में ही अर्पण किया।

अयोध्या नगरी सजी दीपमालाओं से, फूलमालाओं से, रंगोली से।
ढोल, मृदंग, झांझ के साथ ख़ूब मंगल गान हुए।
राम भक्त एक हुए अपनी-अपनी यथा शक्ति, सभी ने मंदिर बनाने में सेवा किये।
तभी ना आज राम मंदिर में राम लला के दर्शन पाकर सब संतुष्ट हुए।

मिल बैठे सब संत, वेद शास्त्र, धर्म पर सबके चर्चे हुए, सत्संग हुए।
अयोध्या निवासियों को मिले रोज़गार, सरयू के केवट के भी धन्य-धन्य भाग्य हुए।
सबकी मनोकामना पूरी करने अयोध्या में मंदिर खड़े हुए।
सिंहासंन पर रघुनंदन शोभायमान हुए।
राघव के दर्शन कर भक्त जन सुखी हुए।
जिनके मन में छवि राम की महिमा राम की अति प्रसन्न हुए।

देख अयोध्या नगरी त्रेता युग में होने का आभास देती।
अनुष्ठान मंदिर बनने तक का कठिन से कठिनतम था।
दर्शन पाकर रामलाल के, राम भूमि में, मानव जीवन सफल हुए।

नवचेतना, नवस्फूर्ति आलोकित करती अयोध्या नगरी।
चित में जैसे हनुमान के राम दर्शन हुए।
बड़ा आनंद पाया जाकर राम की नगरी।
राघव के साथ, माता सीता, लखन , श्री हनुमान के दर्शन पाकर हम धन्य-धन्य हुए।

#संध्या राणे,

इन्दौर

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।