तेरे लिए

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जी रहा हूँ श्वांस हर तेरे लिए,
पी रहा हूँ प्यास हर तेरे लिए।
हर ख़ुशी-आनंद है तेरे लिए,
मीत! मेरा छंद है तेरे लिए।
मधुर अनहद नाद है तेरे लिए,
भोग,रसना,स्वाद है तेरे लिए।
वाक् है,संवाद है तेरे लिए,
प्रभु सुने फ़रियाद है तेरे लिए।
जिंदगी का भान है तेरे लिए,
बन्दगी में गान है तेरे लिए।
सावनी जलधार है तेरे लिए,
फागुनी सिंगार है तेरे लिए।
खिला हरसिंगार है तेरे लिए,
सनम ये भुजहार है तेरे लिए।।
(१९ मात्रिक महापौराणिक जातीय आनंदवर्धक छंद)

——संजीव वर्मा ‘सलिल’
जबलपुर ,  म.प्र.

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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