बिहार के रुपेश को “वगिश्वरी पूज्ज-2021” मिला

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बिहार के सीवान जिले के चैनपुर गांव के भीष्म प्रसाद के पुत्र युवा साहित्यकार रुपेश कुमार को ‘विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत’ से “वगिश्वरी पुज्ज – 2021” सम्मान से बसंत पंचमी 17 फरवरी 2021 को सम्मानित किया गया ! रूपेश भौतिक विज्ञान के छात्र होते हुए साहित्य में गहरी रुचि रखते है ! इनकी साहित्य में तीन पुस्तकें मेरी कलम रो रही है, मेरी अभिलाषा , मेरा भी आसमान नीला होगा एवं आठ साझा संग्रह एवं अनेकों ई-बुक संग्रह, हजारों पत्र पत्रिकाओं मे साथ में दो पुस्तक काव्य संसार , नई नौ-बहार का संपादन भी कर चुके है ! इनकी जल्द विज्ञान से संबंधित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी बुक आने वाली है ! एक अतुलनीय प्रतिभा के धनी है रुपेश क्योकी विज्ञान के साथ साहित्य , मे भी इनकी विशेष पकड़ है ये कम ही लोगो मे होती है! ये भौतिक विज्ञान से स्नातकोत्तर एवं बी.एड भी कर चुके है साथ ही कंप्यूटर में डिप्लोमा भी कर चुके है अभी सिविल सर्विस के साथ ही नेट की तैयारी कर रहे है ! इनको पूरे भारत मे लगभग दो सौ एकावन से अधिक साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है हाल ही में ‘काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका’ द्वारा “शारदा सम्मान” से भी नवाजा गया एवं ‘आवाज़ ए हिंद’ साहित्यिक संस्था द्वारा “मातृशक्ती साहित्य सम्मान” से भी सम्मानित किया गया है ! इनकी अनेकों रचनाएं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में साहित्यिक एवं विज्ञान से संबंधित प्रकाशित हो चुकी है! अभी रूपेश भारत की राष्ट्रीय साहित्यिक रजि. संस्था “राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान” के राष्ट्रीय महासचिव एवं “राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार” के बिहार इकाई के अध्यक्ष है ! रुपेश की साहित्य साधना का कोई साहित्यिक गुरु नहीं है ये स्वयं से लिखना शुरू किए एक शौक के रुप मे जब ये इंटर पास किए तभी से जो आज इस मुकाम पर पहुंच चुके है ! इनकी रचनाओं मे समाजिक, आर्थिक, लड़कपन, शृंगार , दर्द खुले-आम झलकती है ! इनकी रचनाएँ वास्तविकता से परे होती है ! क्योकिं रुपेश काल्पनिकता से अधिक वास्तविकता में विश्वास रखते है ! इनके शब्दों मे साहित्य समाज का दर्पण होता है ! ये समाज का पथ – प्रदर्शक होता है ! कहा गया है जब राजनीतिक गिरती है तो उसे साहित्य ही सहारा देता है !

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।