मज़बूर हूँ मैं।
मगर ये मत समझना,
कि कमज़ोर हूँ।
मज़बूत हूँ मैं,
साथ ही ग़रीब हूँ।
मगर लाचार नहीं।।
तेरे शोषण का सबूत हूँ मैं,
तेरी ही पहचान हूँ मै।
फिर भी अपनों के लिए
कार्य कर रही हूँ।
दुखी होते हुए भी,
आनंदमय जीवन जिये
जा रही हूँ मै।
मज़बूर हूँ मैं,
मगर ये मत समझना,
कि कमज़ोर हूँ।।
मिटाएगा मुझे तू क्या,
इतनी हिम्मत कहा तुझमे ?
क्योकि में सदा ही कर्म करने में,
जो आस्था जो रखती हूँ।
इसलिए मेरा भगवान,
हमेशा ही मेरे साथ है।
तभी तो वो खुद कहता है,
की कण-कण में मौज़ूद हूँ।।
मज़बूर हूँ मैं,
मगर ये मत समझना,
कि कमज़ोर हूँ।।
दिलो में बुलंद हौसले,
लेकर हम जीते है।
हर कोई काम करने की,
इच्छा शक्ति रखती है।
कौन सा वो काम है,
जो हम कर नहीं सकते।
हर सुबह सकारात्मक नई,
सोच को लेकर जो उठाते है।
मज़बूर हूँ मैं,
मगर ये मत समझना,
कि कमज़ोर हूँ।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन मुंबई