विनाश के संकेत*विधा : कविता

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न किस्सों में न कश्तियों में,जिन्दगी खूबसूरती है रिश्तों में।किसे पता था वक्त ऐसा भी आएगा,जब इंसान इंसान से दूरियां बनाएगा।खुदको भगवान समझ लिया था,मौत के फैसले खुद लिख रहा था।कुदरत का कहर तो देखो अब,मौतके डरसे  खुद छुपा बैठा है।बहुत घमंड था उसे अपनी शक्तियों पर,जिससे दुनियां का बादशाह बन रहा था।और स्थान ईश्वर का खुद ले बैठा था।तभी तो उसके क्रोध के कारण,अब रोने को मजबूर हो रहा है।और करना सको पूजा प्रार्थना और हवन,इसलिए खुदके द्वार भी बंद कर लिए।अपने को बाहुबली समझने वाले देश भी,आज चूहा बनकर बैठे है।बहुत गुरुर था उसे अपने, नए नए अविष्कारों पर।वो ही विज्ञान आज फेल होकर,बैठा है एक कोने में।कब तक अपने डर को छुपाओगें,और खुदकी मौत से क्या बच पाओगें?जो तूने बोया है अब तक,उसका फल तुम अब पाओगें।बहुत खेल चुके प्रकृति के नियमों से।और बना लिया था उसे गुलाम।अब निकलते ही हाथ से उसने,तुम्हें ही बेहाल कर दिया।और बजाने को थमा दिया,घमंडियो को एक एक घुंघुना।अब घर में छुपके बजा रहे है,और मौत के डर को छुपा रहे है।बहुत मनमानी करते आये हो,स्वार्थों को पूरा करने के लिए।और बर्बाद करते रहे,छोटे छोटे बेहगुना देशों को।अब ये ही देश तालियां, थालियां और मोमबत्तीयां।अपनी बर्बादी पर बजा और जला रहे है।और सचको अब भी नही जान पा रहे है।और खुदको अब भी खुदा मान रहे है।अरे माटी का संसार है ये,खेल सके तो अब खेल।बाजी अब रब के हाथ में है,तेरा विज्ञान हो गया पूरा फेल।अब भी वक्त है सुधार जाओ,और अपनी करनी पर पसताओ।मतकर कौशिश महाशक्ति बनने की,वरना खुद ही मिट जाओगे।और दुनियाँ के नक्शे में से,खुदका नाम निशान मिटाओगे।फिर कही के भी नही रह पाओगे,और किसी के गुलाम बन जाओगे।।
संजय जैन (मुम्बई)

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तेरी ख़ुमारी

Tue Nov 10 , 2020
तेरी ख़ुमारी मुझपे भारी हो गई है। उम्र की मुझपे यूं उधारी हो गई है।। मुद्दतों से खुद को ही देखा नही आईने पे धूल भारी हो गई है।। चाहकर भी मौत अब न मांगता । ज़िन्दगी अब जिम्मेदारी हो गई है।। छुपके-छुपके देखते जो आजकल। उनको भी चाहत हमारी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।