न दिल लगता है
न मन लगता है।
बस तुम्हे देखने
का मन करता है।।
न भूल सकता हूँ
न भूलाया जा सकता है।
दिल में एक कसीस है
उसे दिलमें सजाया है।।
गम के अंधेरों में
तुम्हें ढूढ़ रहा हूँ।
शायद रोशनी की
किरण मिल जाये।।
फूलों की किस्मत देखो
कोई चढ़ता है मंदिर में
और कोई चढ़ता है
समाधियों और क्रबो पर।।
सभी को जन्नत मिले
ये तो हो नहीं सकता।
कुछ को तो नरक में
जिंदगी को जीना पड़ेगा।।
मोहब्बत होती है क्या
किसी प्रेमी से पूछो।
उसकी तड़प क्या होती
किसी मंजुनू से पूछो।।
मोहब्बत जिन्हें मिलती
वो दीवाने हो जाते है।
और अपनी मोहब्बत की याद में ताजमहल बनवा देते है।।
मिले अगर मोहब्बत में गम
तो वो पागल हो जाता है।
फिर उसी की बेबफाई में
जिंदा रहते हुए मर जाता है।।
जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुम्बई)