
जिंदगी में बहुत लोगों के
तुम काम आये हो।
मर कर भी साथ तुम
लोगो का निभा जाओ।
अपने अंगों को तुम
औरों को दान कर जाओ।
और जाते जाते खुद ही
अंतिम उपकार कर जाओ।।
देकर जीवन दूसरों को
मानव धर्म निभा जाओ।
जिओ और दूसरों को
जीने की राह दिखा जाओ।
और अपने अंगोको देकर
एक उपकार कर जाओ।
और किसी जरूरत मंदके
जीवन में रोशनी कर जाओ।।
यदि ये सब तुम कर पाओगें
तो मरने के बाद मोक्ष पाओगें।
और मरकर भी लोगों के
दिलोमें सदा जिन्दा रहोगें।
और मरने के बाद भी
खुदको जिंदा रख पाओगें।।
जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुम्बई)

