इंतजार उनका किया बीते दिन और रात।
नैना रास्ता देख कर अश्रु करें बरसात।
एक हतो हरि संग गयो अब बेमन हम लोग।
पल-पल छिन-छिन मर जिएं कैसे कटे वियोग।
राधा ऐसी बावरी कान्हा प्रीत लगाय।
वृंदावन के बीच में कान्हा-कान्हा गाय।
ऊधो कान्हा से कहो क्यों बिसरायो मोय।
जन्म-जन्म को बावरो जो मन टेरे तोय।
जान द्वारका तुम बसे छोड़ बिरज के ग्वाल।
अब तो दरस दिखाइयो जो मन करत बबाल।
#सुशील शर्मा
परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा