अब पहचान लीजिए..

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नजर से नजर अब पहचान लीजिए,
अरमान हदय् का अब जान लीजिए।

सांस में आएगी बहार की महक,
झरे सब फूल मुस्कान लीजिए।

हकीकत सब सुना दी है जुबां से,
छिपाया कुछ नहीं दिल छान लीजिए।

यह तुम्हारे ख्यालों का सौदा है,
आप चाहे रात को दिन मान लीजिए।

 #रचना नन्दिनी सक्सेना

परिचय: श्रीमती रचना नन्दिनी सक्सेना का जन्म १९७१ का है। आपने एमए.(हिन्दी साहित्य)औऱ डीएड की शिक्षा ली है तथा  शिक्षिका हैं। परिचायिका, भरथरी को बेराग,आऊ माता की वारता,अम्मा की ची-ची आपकी प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ हैं जबकि,देश के  विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओ का प्रकाशन होता है। इण्डो इथोपियन सोसायटी-दिल्ली,देवनागरी लिपि एवं  पत्रकार मोर्चा आदि कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा आप सम्मनित की गई हैं। आप मध्यप्रदेश के माधवगंज (आगर-मालवा) में रहती हैं।

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