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गुड्डा – गुड्डी हैं तैयार।
हँसते- गाते करते प्यार।।
पहने नये- नये पोशाक।
खूब जमाते दोनों धाक।।
रोली चंदन अगर कपूर ।
मीठे लड्डू मोतीचूर।।
राखी बाँधी गुड्डी आज।
गुड्गा का है जैसे राज।।
भाई- बहना हैं खुशहाल।
बदल गई है इनकी चाल।।
रक्षाबंधन का त्यौहार।
आए जीवन में सौ बार।।
डॉ अवधेश कुमार अवध
जयन्तिया हिल्स, मेघालय
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