
एक नन्हीं-सी कली मेरी बगिया में खिली,
सींचा उसे प्यार से,पर दुनिया की नज़र लगी।
कहते हैं खुशियाँ बांटने से बढ़ती है,
पर यहाँ लगा खुशियाँ बांटने से घटती है।
मेरे नन्हे से सपनो में जैसे आँख खुल गई,
ऐसे ही वो ख़ुशी मुझसे दूर चली गई।
कुछ कर्ज़ बाकी था,उस नन्हीं-सी जान का,
जो उसकी आहट न पहचान सका।
पर हर बगिया में फूल दुबारा खिलते हैं,
गलतियां सुधार कहीं और बेहतर पलते हैं।
हर प्यारी चीज़ का मिलना आसान नहीं होता,
अहसास हुआ ज़िन्दगी जीना मुश्किल तो नहीं ,पर सरल नहीं होता।
विश्वास हो अगर खुद पर तो सपने पूरे होते हैं,
कहते हैं ठोकर खाकर ही ठाकुर बनते हैं।
#प्रेरणा सेंद्रे
परिचय: प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।

