गोवंश द्वारा दया याचिका, मृत्यु या उपचार?

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  यह धरातल पर लेटा हुआ गोवंश है। इसका कोई नाम भी नहीं है। परंतु सब जानते हैं कि यह गीता के उपदेशक श्रीकृष्ण जी के प्रिय हैं। जिन्हें गोधन भी कहा जाता है।
  उल्लेखनीय है कि उक्त गोवंश को करीब छः माह पहले कोई चालक रात के अंधेरे में कुचल कर भाग गया था। शोरगुल सुनकर वहां पहुंचे और इसकी दयनीय दशा को देखकर सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक श्री गणेश दास जी ने देखभाल का चुनौती युक्त दायित्व सम्भाला। वह यथा उचित सेवा करते रहे हैं। परंतु अब उसकी हालत बद से बद्तर हो गई है। चूंकि उसे उसके घावों में कीड़े पड़ गए हैं और वह दर्द से तड़प रहा है। जिसे देखना अत्यंत कष्टदायक है।
  अब उक्त गोवंश ने अपने संरक्षक श्री गणेश दास जी के माध्यम से तहसीलदार ज्यौड़ियां के समक्ष लिखित दया याचिका दायर की है कि वह मेरे कानूनी अधिकारों के अंतर्गत मेरा उपचार करवाएं या मुझे मृत्यु देकर पीड़ामुक्त करें। याचिकाकर्ता ने उपरोक्त याचिका की प्रतिलिपियां प्रदेश के उप-राज्यपाल, मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासनिक सचिव, मंडल आयुक्त जम्मू, जिला उपायुक्त जम्मू, उपजिला दण्डाधिकारी अखनूर को हस्तक्षेप करने की भी गुहार लगाई है। उपरोक्त प्रतिलिपियां अणुडाक द्वारा भेज दी गई हैं।
  जिस पर तहसीलदार ज्यौड़ियां ने विषय की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करते हुए चौकीदार के हाथों पशु विभाग के पशु-चिकित्सालय ज्यौड़ियां को याचिकाकर्ता गोवंश को तुरंत उपयुक्त उपचार देने का आदेश दिया।
  जिसके फलस्वरूप ज्यौड़ियां पशु-चिकित्सालय के उपस्थित विद्वान डाक्टरों ने तुरंत उपचार आरम्भ किया और गोवंश के अन्दर विशेष उपकरणों द्वारा सूजन का द्रव उत्पाद अर्थात पीप  निकाली और दर्दनाशक दवाएं भी दीं। उन्होंने ने याचिकाकर्ता गोवंश के संरक्षक श्री गणेश दास शर्मा जी को आश्वासन दिया कि वह अपनी चिकित्सा पद्धति से शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्रदान करेंगे। सम्माननीयों

जय हिन्द

इंदु भूषण बाली

matruadmin

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