लाॅकडाउन में क्या लोगों का जीवन स्तर गिर रहा है?

0 0
Read Time2 Minute, 33 Second
 जिन लोगों का जीवन स्तर पहले से ही गिरा हुआ हो, लाॅकडाउन उनका क्या जीवन स्तर गिराए गा? विश्व जानता है कि भारत भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को पार कर चुका है। सर्वविदित है कि राष्ट्र के सर्वोच्च लिखित संविधान के चारों तथाकथित सशक्त स्तम्भ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और पत्रकारिता से जुड़े लोगों का जीवन स्तर इतना गिर चुका है कि वेश्यालयों की वेश्याओं का जीवन स्तर भी कहीं ऊंचा है।
 चूंकि वेश्याएं खुल्लम-खुल्ला वह धंधा करती हैं। जहां उच्चस्तरीय पदाधिकारी एवं संभ्रांत सभ्यता के पुजारी जन्मजात नंगे होते हैं। चूंकि उपरोक्त दुष्ट लोग सर्वप्रथम भ्रष्टाचार के माध्यम से बीमार, गरीब, दिव्यांग एवं विवश राष्ट्रभक्त नागरिकों का रक्त चूसते हैं और उसके उपरांत जीवित मांस नोचने की अभिलाषा लिए वेश्यालयों में जाते हैं। जहां समाज द्वारा कलंकित संज्ञा देते हुए ठुकराई व दुत्कारी गई विवश सभ्य वेश्याएं जात-पात से ऊपर उठकर धन के बदले अपना सब कुछ न्यौछावर करते हुए अपने ग्राहकों को परम सुख सहित सम्पूर्ण संतुष्ट करती हैं।
 जबकि उल्लेखनीय है कि विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं पत्रकारिता से जुड़े लोग धन लेकर भी अपने ग्राहकों को संतुष्ट नहीं करते। अर्थात चारों सशक्त स्तम्भों से जुड़े लोग राष्ट्र और राष्ट्र के नागरिकों से संबंधित संविधान द्वारा दी गई सौगंध के प्रति न तो धर्म निभाते हैं और ना ही धर्मग्रंथों के अनुसार कर्म करते हैं।
 अतः जिन लोगों के जीवन का संवैधानिक एवं धार्मिक स्तर पहले से ही गिर चुका हो, लाॅकडाउन की क्या औकात कि उन लोगों के जीवन स्तर को गिरा सके?

इंदु भूषण बाली

matruadmin

Next Post

आंखों से कहो

Sat May 2 , 2020
तेरी आँखों में हमें, जाने क्या नज़र आया। तेरी यादों का दिल पर, शुरुर है छाया। अब हम ने चाँद को, देखना छोड़ दिया। और तेरी तस्वीर को, दिल में छुपा लिया।। दिल की धड़कनो को, पढ़कर तो देखो। दिल की आवाज को, दिलसे सुनकर देखो। यकीन नहीं है तो, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।