माननीय जम्मू और कश्मीर की उच्च न्यायालय की जम्मू शाखा के समक्ष प्रस्तुत।

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इंदु भूषण बाली
सुपुत्र श्री सतगुर प्रकाश बाली,आयु 58 वर्ष, निवास डाकघर और तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू (जम्मू व कश्मीर)
आवेदक

          विरूद्ध

1) भारत सरकार,
गृह मंत्रालय, महानिदेशक, सशस्त्र सीमा बल, पूर्वी खण्ड-5, रामा कृष्णा पूरम, नई दिल्ली-66

    उत्तरवादी

न्याय के संदर्भ में :-
01- भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत आज्ञापत्र जारी करने हेतु याचिका।

  02- माननीय उच्च न्यायालय मुझे आपको बताना है कि एस.एस.बी. के मेरे विभागीय क्रूर एवं भ्रष्ट अधिकारियों ने मुझे विभिन्न सेवा कार्यालयों में विभिन्न प्रकार से पीड़ित-प्रताड़ित किया था।जिसके उत्पीड़न के कारण मुझे मानसिक तनाव एवं आंतड़ियों का तपेदिक रोग हो गया।तपेदिक रोग के उपचाराधीन होने के कारण ग्रामीणों को दवाईयां बांटना एक तो मेरे वश में नहीं था और दूसरा अंग्रेजी दवाईयां बांटना ग्रामीणों के जीवन से खिलवाड़ भी था।क्योंकि विभाग द्वारा स्थापित 'मेडिक प्रशिक्षण केंद्र' और उससे मुझे दिया गया 'मेडिक प्रशिक्षण' भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India) द्वारा पंजिकृत एवं मान्यता प्राप्त नहीं था।
  03- ऐसे ही कई आपत्तिजनक आधारों के कारण मेरे क्रूर एवं भ्रष्ट विभागीय अधिकारियों ने मुझे मार-पीटकर शारीरिक व मानसिक यातनाएं दीं और पहले की भांति पुनः पीड़ित-प्रताड़ित (HARASSMENT) करना आरम्भ कर दिया था।जो क्रूरता का नंगा नाच और मानव अधिकारों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन था।अर्थात संविधान की धारा 21 का उल्लंघन था।
  04- यही नहीं उन्होंने सोचे-समझे निर्धारित षडयंत्र के अंतर्गत मुझे निलंबित करने के स्थान पर ''अकार्य दिवस'' (DIES NON) घोषित किया और मेरा वेतन बंद करते हुए कार्यालय में उपस्थिति अंकित करने का अधिकार छीन लिया।जो नेचुरल जस्टिस, सोशल जस्टिस, मेंटल हैल्थ एक्ट 1987 एवं डिस्एबिलिटी एक्ट 1995 (वर्तमान 2016) का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है।
  05- माननीय उच्च न्यायालय भ्रष्ट विभागीय अधिकारी मुझे निरंतर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक पीड़ित- प्रताड़ित इसलिए कर रहे थे।ताकि मैं विवश होकर आत्महत्या कर लूँ।जिससे भविष्य में भी कभी उनके समस्त दण्डात्मक काले कारनामों पर आवाज ना उठा सकुँ।दूसरे स्पष्ट शब्दों में सत्य यह है कि वह सीधे-सीधे मेरी मेरे परिवार सहित हत्या करने का प्रयास कर रहे थे।अन्यथा यदि मैंने कोई अपराध किया था तो वह मुझे ''अकार्य दिवस'' (DIES NON) के स्थान पर निलंबित करते।जिससे मुझे वेतन का कुछ भाग मिलता रहता और मेरी परिवार सहित जीविका चलती रहती।
  06- वैसे भी ''NO WORK NO PAY'' का PRINCIPLE बीमार कर्मचारी पर कहां लगता है?जिसे कोरोना महामारी के लॉक डाऊन नेे सिद्ध कर दिया है।इसीलिए देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बार-बार कह रहे हैं कि कोई भी नागरिक भूखा नहीं रहना चाहिए और कोई भी मालिक किसी का वेतन नहीं काटेगा।इसलिए माननीय उच्च न्यायालय मेरे प्रश्न का भी आधार यही है कि तपेदिक रोग व मानसिक तनाव के चलते मेरा 504 दिन का वेतन क्यों काटा, मुझे भूखा क्यों मारा?
  07- ऊपरोक्त प्रताड़ना के एक छोटे से उदाहरण को चुनौती देते हुए माननीय उच्च न्यायालय से न्याय मांगने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा मूल्यांकन एवं निर्णय हेतु उसके समक्ष न्याया की अभिलाषा में यह संक्षिप्त याचिका प्रस्तुत कर रहा हूँ।सम्माननीयों

जो इस प्रकार है। :-
08- No.PP/AOP/IBB/4639-42
Directorate General of Security,
Office of the Area Organiser,SSB,
Poonch Area,Poonch(J&K).

Dated, the, 16 th ,December’ 2K.

  OFFICE ORDER
  -------------------------

Pay and allowances of Sh. I.B. Bali, Ex- S.F.A. (M) for the period w.e.f. 01-04-99 to 20-08-2K has not been drawn/disbursed on the principle of ”NO WORK NO PAY” and the period in question totalling 504 days is hereby regularised by granting him E.O.L (without Medical Certificate)

              Sd
     (B.S. RANA)

AREA ORGANISER,SSB,
POONCH.

DISTRIBUTION :

  1. The Director of Accounts,East Block-IX, R.K. Puram,New Delhi.
    2.The Accountant, o/o the Area Organiser, Poonch (J&K)
  2. Sh. I.B. Bali, Ex- S.F.A. (M).
  3. Personal File.

(प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-A

  09- क्योंकि ऊपरोक्त आदेश सम्पूर्ण मनमाना,झूठा, अवैध और असंवैधानिक है।

  10- जिसे विभागीय ज्ञापन No.AOP/94/Enquiry/918-20 दिनांक 21-05-99 सिद्ध करता है कि मैं छुट्टी पर नहीं बल्कि पुंछ में ही डिपार्टमैंटल इंक्वायरी भोग रहा था। (ज्ञापन की प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-B

———————-)

  11- जिसे जिला अस्पताल पुंछ द्वारा जारी दिनांक 05-06-99 का मेडिकल बोर्ड सिद्ध करता है कि ऊपरोक्त आदेश सफेद झूठा, मनमाना, अवैध और असंवैधानिक है।क्योंकि उक्त मेडिकल बोर्ड ने लिखा है कि He is suffering from PSYCHIATRIC AILMENT and needs further EVALUATION by a PSYCHIATRIST. जिसकी रिपोर्ट विभाग के पास है। (प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-C

———————-)
12- जिसे ज्ञापन अर्थात MEMORANDUM No. AOP/94/Enquiry/3238-41दिनांक 11-08-99 स्पष्ट कर रहा कि विभागीय कर्मचारी श्री गीता राम जी को मुझे Escort करते हुए 20-08-99 को जम्मू के मनोरोग चिकित्सालय में उपस्थित करने का आदेश जारी किया गया है।जिसकी (प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-D

  13- जिसे मेरी 08 JULY 99 को ऐरिया आर्गनाइजर पुंछ को दी और विभाग द्वारा प्राप्त की गई प्रार्थना-पत्र जिसमें मैंने अपनी दुर्दशा एवं बीमार पत्नी का भी उल्लेख किया हुआ है।जो विभाग द्वारा स्पष्ट उत्पीड़न (HARASSMENT) सिद्ध करते हुए ऊपरोक्त आदेश को सफेद झूठा, मनमाना, अवैध और असंवैधानिक प्रमाणित करती है।जिसकी (प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-E

  14- जिसे मनोरोग चिकित्सालय जम्मू के 05 विशेषज्ञों के मेडिकल बोर्ड द्वारा 20-08-99 को की गई जांच की रिपोर्ट No. PSY./591 दिनांक 23-8-1999 भी ऊपरोक्त आदेश को सफेद झूठ, मनमाना, अवैध और असंवैधानिक सिद्ध करती है।  जिसकी (प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-F
  15- जिसे दिनांक 24-10-99

का विभागीय ज्ञापन अर्थात MEMORANDUM No. PF/I.B.BALI/AOP-99 भी पूरी तरह झूठा, मनमाना, अवैध और असंवैधानिक सिद्ध करता है।जिसके अंतर्गत मुझे स्टेशन लीव सहित मेडिकल लीव पर भेजा हुआ है।जिसकी (प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-G

  16- माननीय उच्च न्यायालय दिनांक 06-12-99 का टेलीग्राम एवं 30-12-99 का ज्ञापन अर्थात MEMORANDUM No. PF/IB/AOP/98/4863 विभागीय प्रताड़ना की पुष्टि करते हुए गंभीर प्रश्न खड़े कर रहे हैं कि मेड़िकल बोर्ड के 02 सर्टिफिकेट्स जब विभाग के पास हैं, तो टेलीग्राम एवं ज्ञापन के माध्यम से विभागीय अधिकारी कौन से मेडिकल सर्टिफिकेट्स की मांग कर रहे थे?जबकि उस समय मैं तपेदिक रोग, मानसिक तनाव, भूखमरी, धन के आभाव व विभागीय तिरस्कार के कारण मृत्यु के अत्यंत करीब था।जो विभागीय भ्रष्ट एवं क्रूर अधिकारियों की क्रूरता की पराकाष्ठा थी। प्रतिलिपियां संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-H & I

  17- जिसे ज्ञापन अर्थात MEMORANDUM No. Enquiry/AOP/99-2000 दिनांक 25-01-2000 स्पष्ट कर रहा कि मैं इनक्वायरी भोग रहा था।जिसका ज्ञान महानिदेशालय दिल्ली को भी था।जिन्होंने एम्स (AIIMS) नई दिल्ली 10/02/2000 को मेडिकल बोर्ड के लिए सूचित किया गया था।यह भी ऊपरोक्त आदेश को झूठलाता है।प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-J

  18-जिसे डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, नई दिल्ली के पत्रांक 13-9/2000-RMUI (MD)/13433 दिनांक 17-05-2000 का मेडिकल प्रमाणपत्र भी चीख-चीख कर कह रहा है कि ऊपरोक्त आदेश मनमाना, अवैध और असंवैधानिक है।जबकि विभाग ने पीजीआई चंडीगढ़ या एम्स दिल्ली के स्थान पर मुझे डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, नई दिल्ली में दिखाया था।जिन्होंने मेरी पीड़ा-प्रताड़ना को पैरानाइड स्कीजोफ्रेनिया की संज्ञा दी थी।प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-K

  19- जिसे आदेश No. Enquiry/AOP/PP/3052-60 दिनांक 18 अगस्त 2000 जो स्वयं एक बड़ी चुनौती है।किंतु ऊपरोक्त चुनौती के पक्ष में स्पष्ट हो रहा है कि मैं कितना पीड़ित-प्रताड़ित था कि नौकरी के लिए सक्षम नहीं था।जिसके आधार पर मुझे नौकरी से निकालने में विभागीय अधिकारी सफल हो गए थे।परंतु चीख-चीख कर कह रहा है कि ऊपरोक्त आदेश मनमाना, झूठा, अवैध और असंवैधानिक है।प्रतिलिपि संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-L

  20- सत्यता के लिए शपथपत्र संलग्न है।
  - माननीय उच्च न्यायालय से मेरी विनम्र प्रार्थना (PRAYER) है कि एसएसबी के ऊपरोक्त उत्पीड़न, झूठे, मनमाने, अवैध और असंवैधानिक आदेश को रद्द करें और मुझे 01-04-99 से 20-08-2K अर्थात 504 दिनों का वेतन ब्याज एवं मुआवजे सहित सम्‍मानपूर्वक दिलाने हेतु मेरे विभाग को आदेश करें या इससेे अधिक दण्डात्मक न्यायसंगत जैसा भी उचित समझें आदेश कर मुझे कृतार्थ करें।क्योंकि मैं दशकों से माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय जम्मू याचिका अंक एसडवल्युपी 2605 व आदेश दिनांक 30-03-2001 संलग्न अर्थात Copy Attached as ANNEXURE-M सहित माननीय महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, बार कौंसिल आफ  इंडिया, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जम्मू, हाईकोर्ट विधिक सेवा कमेटी जम्मू एवं कई अन्य दरवाजों को न्याय हेतु खटखटाने के बाद अपके समक्ष उपस्थित हुआ हूं। सम्माननीयों

  हस्ताक्षर
   याचिकाकर्ता
  इंदु भूषण बाली

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।