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किसे अपना हम कहें,किसको कहें पराया,
खाए कई बार धोखे,लेकिन समझ न आया।
अपने-से बनके रहना,दिखाया भी ये बहुत,
मगर वक्त आने पर,ठेंगा ही दिखाया।
नफ़रत से भरी दुनिया में,ऐसा भी नहीं है,
जिसको किया किनारा,उसका ही साथ पाया।
लगता है व्यर्थ सब कुछ,माया और छलावा,
बस एक ईश्वर का ही लगता है,सच है साया।
लेकिन पड़ा है पर्दा,दिखता नहीं हमें सच,
कर दो कृपा प्रभु ये,तेरी शरण में आया।
#कैलाश भावसार
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