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जब घर में हम सोते रहते,
लेकर साथ सकल परिवार।
हँसी-खुशी के बीच बाँटते,
अपने अनुभव,जीवन सार।।
सैनिक पहरे पर दृढ़ रहकर,
पाल रहा होता निज कर्म।
हर साँस,हर पल जीवन का,
अर्पित करे निभाए धर्म।।
जब सैनिक का बढ़े मनोबल,
दुश्मन चूर-चूर हो जाय।
अब तो जागो मीत हमारे,
अवध सभी को रहा जगाय।।
#अवधेश कुमार ‘अवध’
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