मेरा देश मेरा भारत

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naveen utkarsh

रहमान  संग  में  यहाँ,ईसा,  नानक, राम।
वीरों  की जननी यही,भारत इसका नाम।।

विश्व पटल पर छाया न्यारा।
प्यारा  भारत देश हमारा।।

राणा, पन्ना,भामा,मीरा।
यहीं हुए रसखान,कबीरा।।

चरक,हलायुध,अब्दुल,भाभा।
विश्व पटल की थे यह आभा।।

जन्मे गीत, ग़ज़ल,कव्वाली।
भारत की छवि लगती आली।।

क्रिसमस, ईद,लोहड़ी,होली।
पावनता पर्वों   ने  घोली।।

अलग-थलग हैं भाषा बोली।
पर माटी  माथे   की रोली।।

इस  माटी  का  लोहा  माना।
जगत गुरु यह सबने जाना।।

मानवता  संग  रहे   वास्ता।
सब धर्मों में अपनी आस्था।।

सावन  का  मल्हार  सुहाना।
कोयल नित्य सुनाए गाना।।

भर मन मोद मोर नित नाचे।
नदियाँ, नाले भरें  कुलाँचे।।

चहुँ दिश ही फैली हरियाली।
इत  झूमें बरखा  मतवाली।।

परियों  वाली  प्रेम  कहानी।
यहाँ सुनाती दादी, नानी।।

कहता  हलधर  बहा  पसीना।
श्रम के बल पर हमको जीना।।

नीति, रीति  हमने  सिखलाई।
सही राह जग को  दिखलाई।।

चाँद-सितारे हम बिन फीके।
आवभगत हमसे सब सीखें।।

भाषा-बोली है अलग,खान-पान अरु वेश।
सब धर्मों से है बना,मेरा भारत देश।।

                #नवीन श्रोत्रिय ‘उत्कर्ष’

matruadmin

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One thought on “मेरा देश मेरा भारत

  1. आपका यह कविता बेहद ही स्नेह प्रिये लगा,,,,,
    उम्मीद करता हूँ ,
    आपके द्वरा,, आगे भी मनभावन रचनाएँ पढ़ने को मिलेगी,,

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