#श्रीमन्नारायणाचार्य ‘विराट’
Read Time52 Second
नीर से
अमृत को बनने
मथन कितना सहा होगा ।
टक टकाया हथौड़े ने,
छीर दी छैनी की धार
शिल्प या पनघट की धातु
घाव से होता उद्धार
टूटती जब
ये शिला ने
सपन कितना बुना होगा
मथन कितना सहा होगा।
इस धरा की कोख में सब
निक्षिप्त वस्तु को खोजते
धूल में सब लोह लगता
करने परीक्षा ठोकते
धातु, कंचन
सा लुभाने
अगन कितना तपा होगा
मथन कितना सहा होगा ।
आम से वो खास होने
करते कठिन संघर्ष को
स्वेद को ईंधन बनाकर
भरते नवल सम हर्ष को
निम्न से
उत्थान होने
जतन कितना लगा होगा ।
मथन कितना सहा होगा ।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
August 13, 2018
बात कुछ ना थी बवंडर हो गए
-
August 11, 2017
पुण्य अंनत हुआ….
-
July 29, 2019
सावन आया
-
February 26, 2021
स्वभाषा के बिना महाशक्ति कैसे बनेगा देश ?
-
March 30, 2021
प्यार भरे कुछ मुक्तक