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गिरे जब अश्क हैं मेरे, उदासे चंद्र रवि तारे।
शहीदी मान में गिरते, समंदर सात ये हारे।
सवा अरबों की माता हूँ, सुतों में नेह संचारी।
बहेंगे अश्क मेरे तो, उठें मय जोश सुत सारे।
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सुतों के खून से नाले,बहे इतिहास पढ़ना तो।
धरा मे लालिमा ऐसी,रहा है शौक लड़ना तो।
मुझे माँ भारती कहते,शहीदी मातु कहलाती।
गिरे क्यों अश्क मोती से,तिरंगेमान मरना तो।
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हमारा देश दुश्मन से, हजारों साल से लड़ता।
सहे आघात भारी है,सखे साहस नहीं डिगता
गिरे रिपु अश्क कितने ही,इरादे ठोस रखते हैं
विकासे भारती माते,नहीं समझे कभी जड़ता
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गुमानी शान में जीते, शहीदी शान से मरते।
जवानी देश को देते, तिरंगा प्राण सम रखते।
हमारी मातु भारत है, नहीं ये अश्क लाचारी।
इसी से ‘लाल’ जन्मे है,इसी हितकर्म हैं करते।
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नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः