होली का यह रंग,है कितना मनमोहक,
लाल,गुलाबी,नीला,काला,पीला,
भाता सभी को यह खूब है।।
आओ हम सब मिलकर होली मनाएँ,
प्यार-मोहब्बत का रंग खूब पिरोये।
दुश्मनी भूल कर दोस्ती का रंग,
हम सब मिलकर खूब लगाये।।
मेल जोल का सिलसिला तो यूं चलता रहेगा,
आओ हम सब मिलकर कुछ नया कर जाय।
जो अब तक न हुआ वो काम कर जाय,
करे कुछ ऐसा जो देश का नाम हो जाय।।
आओ हम सब मिलकर होली मनाएँ,
कुछ मीठे, कुछ खट्टे, कुछ तीखे।
करे हमसब मिलकर ऐसा नटखट ,
सुनहरा सा यह दिन हो जाय ।।
मिलन का है, देखो यह कितना अलवेला,
त्योहारो की मस्ती में मिलकर हम सब यूं झूमे।
जैसे झूमे राधा-कृष्ण वृंदावन में साथ-साथ,
आता यह रंगा-रंग त्योहार साल मे एक बार।।
होली का यह रंग,है कितना मनमोहक,
मोह ले यह मन सारा संसार का।
आओ हम सब मिलकर एक हो जाय,
जैसे सभी रंग मिलकर होते है एक।।
पूर्ण नाम~ पुष्कर कुमार
साहित्यिक उपनाम~ पुष्कर कुमार भारती
जन्म स्थान~ कटही,सुपौल (ननिहाल)
वर्तमान पता~ ग्राम-दियारी,जिला-अररिया
स्थाई पता~ग्राम-दियारी,जिला-अररिया
राज्य/प्रदेश~ बिहार
ग्राम/शहर~ अररिया
पूर्ण शिक्षा~BA(POLITICAL SCIENCE)
कार्यक्षेत्र~ विद्दार्थी/लेखन कार्य
(नौकरी या जो भी)लेखन विधा~ कविता,सामाजिक लेख
(गीत,ग़ज़ल,लेख जो भी )भाषा ज्ञान~ हिन्दी
कोई प्रकाशन~ www.sahity.com/ब्लॉग, पर कविता और कहानी का संग्रह
(संग्रह या किताब ) तथा कहानी का संग्रहरचना प्रकाशन~ साहित्य लाइव पाक्षिव पत्रिका
(पत्र-पत्रिका)लेखनी का उद्देश्य~ सामाज की कुरीतियो को लेखन के माध्यम से मिटाने का प्रयत्न करना
रुचियाँ ~ लेखन कार्य और किताब पढना