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एक व्यक्ति चाँदी के एक टुकड़े को बार-बार आग में डालता, उसे निकालता, उसे देखता और फिर से आग में डाल देता।
मैंने उनसे पूछा- ये आप क्या कर रहे हैं ?
वे बोले- मैं चाँदी के इस टुकड़े को शुद्ध कर रहा हूँ।
मैंने उनसे पूछा- आपको कैसे पता चलेगा कि ये शुद्ध हो गया है ??
वे बोले- जब इस टुकड़े में मुझे अपनी सूरत दिखाई देने लगेगी मैं समझ जाऊँगा की अब ये पूर्ण शुद्ध हो गया।
तो जब भी हमारे जीवन में कठिन परिस्थितियाँ आएँ, हमें लगे की हम इतनी मुसीबत में क्यों हैं ? तब समझ जाइए की हम ईश्वर के हाथ में हैं.. वो कभी जलाकर तो कभी मिटाकर हमारा निर्माण कर अपने योग्य बना रहे होते हैं।
ध्यान रखिए ईश्वर या परमात्मा उन लोगों को ही आग में तपाता है जिनमें उसको अपनी सूरत देखनी होती है।
~#आशुतोष_राणा
किसी शायर ने एक शेर कहा है-
“इस मदरसे का उसूल बड़ा निराला है।
जिसने सबक़ सीखा उसे छुट्टी ना मिली ॥”
जय हो शुभ हो
#आशुतोष राणा
परिचय: भारतीय फिल्म अभिनेता के रूप में आशुतोष राणा आज लोकप्रिय चेहरा हैं।आप हिन्दी फिल्मों के अलावा तमिल,तेलुगु,मराठी,दक्षिण भारतऔर कन्नड़ की फिल्मों में भीसक्रिय हैं। आशुतोष राणा का जन्म १० नवम्बर १९६७ को नरसिंहपुर के गाडरवारा यानी मध्यप्रदेश में हुआ था। अपनी शुरुआती पढ़ाई यहीं से की है,तत्पश्चात डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से भी शिक्षा ली हैl वह अपनेमहाविद्यालय के दिनों में हीरामलीला में रावण का किरदार निभाया करते थे। प्रसिद्धअभिनेत्री रेणुका शाहने से विवाह करने वाले श्री राणा ने अपनेफ़िल्मी सफ़र की शुरुआत छोटे पर्दे से की थी। आपने प्रस्तोता के रूप में छोटे पर्दे पर काफीप्रसिद्धी वाला काम किया। हिन्दीसिनेमा में आपने साल १९९५ मेंप्रवेश किया था। इन्हें सिनेमा में पहचान काजोल अभिनीत फिल्म`दुश्मन` से मिली। इस फिल्म में राणा ने मानसिक रूप से पागल हत्यारे की भूमिका अदा की थी।आध्यात्मिक भावना के प्रबल पक्षधर श्री राणा की ख़ास बात यह है कि,दक्षिण की फिल्मों में भी अभिनय करने के कारण यहदक्षिण में `जीवा` नाम से विख्यात हैं। `संघर्ष` फिल्म में भी आपके अभिनय को काफी लोकप्रियता मिली थीl लेखन आपका एक अलग ही शौक है,और कई विषयों पर कलम चलाते रहते हैंl
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