साधना चौधरीछात्रा- बीकाम द्वितीय बर्षसिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर।
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वीणावादिनी के वरण्य
ज्ञान के सागर आपर
नवल सृजन के स्वप्न दिखाएँ
आपसे मिला यह पौरुष हमें
नित वन्दन चरण आपके।
असतो माँ सद्गमय से
तमसो माँ ज्योतिर्गमय तक
सब आपका ज्ञान मार्ग
समरसता का दीप जलाने
आये समाज में आप
-ज्ञान का दीप जलाकर
अलौकित कर दिये मन
उदभाषिता के दुनियां में
बढे चलेंं हम नव पथ पर।
दिग्दिगंत जगमग हुआ
उपवन फुले यश वृक्ष पर
खिले कमल दल मुस्कुरायें
झूम उठे वसंत नूतन।
-मेरा सराहनीय दल मुक्त संग
इसका जहाँ देखे गर्जन
मेरा काफिला लें युग की पतवार
करती आपका शत शत वंदन
प्रणाम हे गुरुवर बारमबार
प्रणाम हे गुरुवर बारमबार।
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