अपने गौरवशाली इतिहास की अनदेखी किये जाने का दंश झेलता रक्सौल
ऐतिहासिक विरासत की उपेक्षा किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण
हरदिया कोठी, रक्सौल की ऐतिहासिक विरासत को गांधी सर्किट में जोड़कर संरक्षित और विकसित किये जाने का प्रस्ताव केंद्र और राज्य के सभी संबंधित मंत्रालयों और विभागों तक पहुंचने के बाद भी अभी तक सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया।
आज गांधी जयंती के अवसर पर डा. स्वयंभू शलभ ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि हरदिया कोठी, रक्सौल को गांधी सर्किट में जोड़े जाने के मामले को गत 16 अगस्त को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने पर्यटन विभाग को सौंपा था। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को गत 10 अप्रैल और 8 जून को बिहार के शिक्षा सचिव को भी भेजा था।
इस कवायद के बीच डा. शलभ ने 17 दस्तावेजों और साक्ष्यों के साथ गत 12 जून को उपमुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी को पटना में सौंपा था जिसे श्री मोदी ने गंभीरता से लिया भी।
वहीं इस मामले में सम्माननीय प्रधानमंत्री ने ‘सत्याग्रह शताब्दी समारोह’ के पूर्व गत 4 अप्रैल को डीएम मोतिहारी को मेल भी भेजा था।
डा. शलभ के इस प्रस्ताव में महात्मा गांधी के तीन बार रक्सौल आगमन, उनके आह्वान पर रक्सौल में गांधी विद्यालय की स्थापना एवं हरदिया कोठी से जुड़े तमाम तथ्यों को उपलब्ध कराने के साथ ‘सत्याग्रह शताब्दी समारोह’ में रक्सौल की अनदेखी किये जाने का मामला भी उठाया गया था।
बहरहाल इस मामले को केंद्र और राज्य के सभी संबंधित मंत्रालयों और विभागों तक पहुंचाया जा चुका है। रक्सौलवासी आशान्वित हैं कि सरकार द्वारा इस मामले में शीघ्र कदम उठाया जाएगा, जाँच आरंभ होगी और इस विषय में अबतक जो चूक हुई है और इतिहास की जो अनदेखी की गई है उसका सच भी देश और समाज के सामने आएगा।
#डॉ. स्वयंभू शलभ
परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।