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भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी… एक ऐसा नाम जिसने भारतीय राजनीति को अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से इस तरह प्रभावित किया जिसकी मिसाल नहीं मिलती।
1975 में मैं रक्सौल के हजारीमल उच्च विद्यालय का छात्र था। उसी दौरान उनका आगमन विद्यालय के प्रांगण में हुआ था। अपने प्रिय नेता को सुनने के लिए अपार जन सैलाब इकठ्ठा हुआ था। स्कूल का परिसर छोटा पड़ने लगा था। उनका निराला अंदाज़ याद आता है और स्मृतियों में उनके ओजस्वी भाषण के कुछ अंश लहराते हैं…’ नरसिंहराव सरकार के समय 1994 में प्रतिपक्ष का नेता होने के बावजूद मुझे संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा गया… लंबे समय के राजनीतिक जीवन में मेरे दामन में कोई दाग नहीं है…आप बिहारी हैं तो मैं अटल बिहारी हूँ…’
दूसरा संस्मरण 1997 का है जब कालीन्यास द्वारा प्रकाशित ‘भारत नेपाल मैत्री विशेषांक’ के निमित्त उनसे ‘शुभकामना संदेश’ के लिए आग्रह किया गया। अपने संदेश में उन्होंने लिखा कि आपके इस अनुष्ठान की सफलता की कामना करता हूँ। इस पत्रिका के प्रकाशन को उन्होंने ‘अनुष्ठान’ का नाम दिया। इतनी बड़ी बात केवल उनके जैसा महान व्यक्ति ही कर सकता है।
तीसरा संस्मरण दिसंबर 2017 का है जब उनके गृह नगर ग्वालियर में आयोजित ‘काव्य सन्ध्या’ में मुझे मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होने का गौरव प्राप्त हुआ था।
‘साहित्य साधना संसद’ के तत्वावधान में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर भारत रत्न अटल जी को समर्पित यह कार्यक्रम इंद्रगंज स्थित सनातन धर्म मंदिर परिसर, ग्वालियर में आयोजित किया गया था।
तमाम जाने माने साहित्यकारों कवियों ने अपनी रचनाओं से ग्वालियर के कण कण में बसे अटल जी का अभिनंदन किया।
इस अटल गाथा का कोई आदि… कोई अंत नहीं है। उनका व्यक्तित्व हमेशा ही नव भारत के निर्माण के लिए जन मानस को प्रेरणा देता रहेगा।
#डॉ. स्वयंभू शलभ
परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।
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