“दादा जी! हम बूढ़े क्यूँ हो जाते हैं?” अकेले बैठे दादा जी, पोते को कुछ देर निहारते हैं। चारों तरफ़ देखते हैं। आँखों में, बचपन से लेकर बुढ़ापे तक का सफ़र तैर जाता है। भीगी आँखें और कपकपाती ज़ुबान से इतना ही बोल पाए, ” ताकि.. हमारे मरने पर..किसी को […]
लघुकथा
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