ज़िन्दगी भी अज़ीब रंग दिखाती है, जो अपना हो नहीं सकता उसके पास ले जाती है। क्यों,ऐसे मोड़ पर छोड़कर चली गई मुझको, कि मैं चाहकर भी….. कुछ चाह नहीं सकती। कुछ बातों पर अपना बस नहीं चलता, वो तो यूं ही हो जाया करती हैं। तेरी दुनिया के रुप […]
काव्यभाषा
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