जूझा,लड़ा,चीखा-पुकारा था माँ, यूँ ही नहीं मौत से हारा था माँ। किस कसूर की मिली सजा मुझको, समझ न तब कुछ आया था माँ॥ रोया मैं, तो डांट रहा था, बकरी-सा वो मुझे काट रहा था। इस दानव से कोई छुड़ा लो मुझको, पापा-मम्मी बचा लो मुझको॥ तन थर्र-थर्र मेरा […]
काव्यभाषा
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