आज फिर वो फूट-फूट के रोया, सब्र का बांध था, टूट ही गया। कब तक संभालता वक्त के थपेड़ों से, बार बार ठोकरें लगी टूटा बिखर गया। बहुत मजबूत वजूद था उसका, गैरों में कहाँ दम,ठोकर तो अपनों की थी। जब भी मिलता था गमों से राह में, मुस्करा के […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
(आधारछंद,विधान-२२ मात्राएँ) रहे भले ही दूर,मगर उर पास रहे, जीवन कुसुमित पुष्प,सदा मधुमास रहेl प्रिय कलिका सौंदर्य,बसाएँ अंतस में, खिले अधर मुस्कान,हृदय उल्लास रहेl सदा धीर-गंभीर,प्राप्त अवसादों को, चलें उम्र को भूल,अधर परिहास रहेll जुड़े हृदय के तार,विलगता विस्मृत हो, वह है सच्चा प्रेम,जहाँ विश्वास रहेl पंचम स्वर की तान,बनाती […]
