ईर्ष्या की आँधी आडम्बर,के तूफां से टकराना है। हम दीपक हैं काम हमारा,तो उजियारा फैलाना है॥ स्वार्थपरकता के बादल जब,सच के सूरज पर छाते हैं। लालच के अँधियारे मिलकर,सच्चाई को खा जाते हैं॥ तब अचेत जन साधारण को,सच्चाई से मिलवाना है…, हम दीपक हैं काम हमारा,तो उजियारा फैलाना है…॥ पतझर […]
काव्यभाषा
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