भीड़ खड़ी है जमाने भर की, फिर भी अकेला हूँl कुछ भी अच्छा नहीं लगता, मैं दुनिया से जुदा हूँ। हंसना मानो भूल ही गया, हुआ भीतर तक झकझोरl तन्हाई के मौसम में बेखबर हुआ, भाव-भावना भावविभोर। चाँद की चांदनी मेरे तन्हा दिल को, सता जाती हैl ये पगली पवन […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
स्वच्छ रहेंगें,स्वस्थ रहेंगे,भारत को भी स्वच्छ करेंगें। करते हैं प्रतिज्ञा,हम सब करते हैं प्रतिज्ञा॥ शौच खुले में अब नहीँ करेंगें,जल-थल को अब साफ रखेंगें। करते हैं प्रतिज्ञा,हम सब करते हैं प्रतिज्ञा॥ हाथ हमारे कौशल-धन-बल,सदा साफ ये सदा हो निर्मल। हाथ धो के जल-पान करेंगें… करते हैं प्रतिज्ञा,सब हम करते हैं […]
