मजबूरी तो गजब की चीज होती है, बहुतों को रुलाती है ये ऐसी होती है। दिखाई देती तो नहीं किसी को मगर, जग में ये बहुतों में ही दिखाई देती है। बच्चे सड़कों पर भटकने को मजबूर, पेट भरने के लिए कमाना मजबूरी है। औरतें नाचती-गाती हैं गैरों के […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
बचपन से सबको यही कहते सुना है औरतें देवी स्वरूप होती हैं। सुंदर वर्ण,सर्वगुण संपन्न,नारी की ऐसी कल्पना ही क्यूं होती है। आत्मनिर्भर,अभेय ,प्रतिभावान,कुछ ऐसी परिभाषाएं भी तो होती है॥ क्या सच में औरतें देवी का रूप होती हैं ? मां-बहन-पत्नी-बेटी,हर किरदार निभाती है। अग्निपरीक्षा हो या शादी का रिश्ता,हर […]
