तड़प रही हूँ आज भी, बयालीस साल पहले जो थी वही तड़प आज भी है। तब रो रही थी, गिड़गिड़ा रही थी हर जगह कभी मंदिर के द्वार कभी गिरजा,मस्जिद,गुरुद्वारा… और कभी एक से बढ़कर एक चिकित्सक के पास,पति के समक्ष सिर्फ एक बच्चा दें… मैं भी मुक्त रहूँ, बाँझ […]
काव्यभाषा
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