खड़ा था , सड़क पर , वह फूटी सी, उड़ती धूल, गड़े गढ़े, चकित आँखें, विगलित हो रहा , स्वयं , फैशन से भरी सड़क , देखकर , है इन्सान , पथभ्रष्ट, विचलित , अनैतिक राह पर, अनुसरण उसका, चकित मानव मन ! #सुनील कुमार पारीक ‘शनि’ परिचय : सुनील कुमार […]
काव्यभाषा
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