मैं इंसान हूँ,इंसान! माना कि!दुनिया में, हालात का मारा हूँ, मैं एक बेसहारा हूँ, जीती बाजी हारता हूँ, लेकिन!मैं टूटता नहीं, कड़े पत्थरों के तरह, डटकर खड़ा रहता हूँ, एक सिपाही की तरह, फिर सामना करता हूँ, मैं इस उम्मीद में,की! अब मैं जीत जाऊंगा। मैं सपने भी देखता हूँ, […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
