निराकार परम शिव है जो है सबके भगवान जो शिव का स्मरण करें मिले तीन लोक का ज्ञान आदि,मध्य,अंत के रचियता है परमात्मा जब जब पाप बढ़े धरा पर कर देते सबका खात्मा पांच हजार साल के कल्प मे सतयुग,त्रेता,द्वापर आते कलियुग,संगम पाप धरा के दुनिया को मायावी बनाते सुखद […]
काव्यभाषा
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