काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा अंधकार है अब चारो ओर कौन रोशनी लाएगा मर्यादा सब भूल गए अनुशासन कौन सिखलाएगा काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा……. सियासत का था वो चमकता सितारा सराबोर इस दुनिया को जो कर गया सुनी पड़ी हैं सब शहर की गलियां […]
काव्यभाषा
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