भरै पेट जद चाहत होवै मोगरा, पण रीतै न इमरत लागै सोगरा। खसबू, भारी चोखी लागै जीवा नै, बेल,मोगरा अलबेला,बेला होवैछै। बात रईसी करै तो भाँया सुणलै रै, बेला री खसबू कामणियाँ सोवैछै। काना माँई सैन्ट लगावै डोकरा। भरै पेट जद चाहत होवै मोगरा। राजस्थानी फसल बड़ीछै बाजरो, थे काँई […]
काव्यभाषा
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