भरै पेट जद  चाहत होवै  मोगरा, पण  रीतै न इमरत  लागै सोगरा। खसबू, भारी चोखी लागै जीवा नै, बेल,मोगरा अलबेला,बेला होवैछै। बात रईसी करै तो भाँया सुणलै रै, बेला री खसबू कामणियाँ सोवैछै। काना  माँई  सैन्ट  लगावै  डोकरा। भरै  पेट जद  चाहत  होवै मोगरा। राजस्थानी फसल बड़ीछै बाजरो, थे काँई […]

प्रयास करिए पुष्प सा, जो छोटे से अस्तित्व से पूरे गुलशन को महकाये। प्रयास करिए बाँसुरी सा, जो बस जरा सी होठो की छुहन से पूरी महफ़िल के कानों में घुल जाए। प्रयास करिए माझी सा, जो दो किनारों पर खड़े लोगो को आपस मे मिलवाये। प्रयास करिए जोड़ का, […]

एक राखी का बंधन , उन भाइयों के नाम , जिन्होंने दिलाया , देश को ऊँचा आयाम , एक राखी देश की ओर से , जिन्होंने किया है रक्षा , देश के हर छोर से , एक राखी उन शहीदों के नाम , जो मर मिटे देश की रक्षा में […]

कच्चे धागों का यह रिश्ता, जमीं-आसमान सा पक्का है। बहन-भाई की प्रेम कहानी, जीवन में एक बस सच्चा है। टूटे ना सांसों से ये धागा, जबतक जीवन गुलजार रहे। जब कलाई पे बंधे ये धागा, लगता कितना अच्छा है। दूर रहे या रहे पास तुम, हरदम दुआओं के दौर रहे। […]

शिव बाबा की बेटी बनकर इस धरा पर आई थी ब्रह्मा बाबा के सानिदय में ईश्वरीय ज्ञान वह पाई थी बाल आयु में ही घर छोडा वानपरस्ति से नाता जोड़ा परमात्म को सर्वस्व मानकर ब्रह्माकुमारी वह बन गई थी अव्यक्त हुए थे जब ब्रह्मा शरीर छोड गई फिर मम्मा कमान […]

जब भी करता हूँ इक़रार अपनी चाहत का उससे सब जानकर भी बनते हुए अंजान अल्हड़पन से खिलखिलाती पूछने लगती है व्याख्या एहसासों की बिल्कुल पगली सी है कैसे समझाऊं उसे एहसास व्याख्यायित करने के लिए नहीं होते होते हैं खुशबू की तरह जो नज़र नहीं आते रंग होते हैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।