हुनर हो गर सच में खुद को आफ़ताब बना लो तुझको अदब से पढ़ा करे ऐसी किताब बना लो आशियाने में सुकून बंटता रहे सुबह-शाम तक तमाम जिंदगी अपनी चमन का गुलाब बना लो गुज़रने के बाद भी वजूद हमारा सलामत रहेगा सफर के लिए मंज़िल को बेचैन ख़्वाब बना लो अंधेरों से परेशां लोग अब भी मिल जाएँगे तुम्हें अजनबी की हसरत का चेहरे पर ताब बना लो जमे हुए मिलते हैं सीने में कितने अनछुए पहलू खोटे सिक्कों के नाम भी अच्छा जवाब बना लो शीतल ज़ुबां के संग दिल में झरना भी रखा कर तपे रहने वालों के वास्ते दरिया तालाब बना लो नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई साहित्यिक सोसाइटी […]

मेरो छोटो सो *कान्हा* देखो कैसे मुसकाय रहो री चुप चुप माखन खाय के देखो कैसे मुँह छपाय रहो री जैसेही देखो मात यशोदा को इत उत लुक़त फिर रहो री नन्द बाबा के डर से देखो कान्हा घर में न आय रहो री गोप ग्वाल संग नदिया तीरे बैठ […]

कोई धुन खुशी का बजाकर तो देखो, कभी बेवजह मुस्कुरा कर तो देखो, ये दुनियाँ तुम्हारे कदम चुम लेगी कदम एक आगे बढ़ाकर तो देखो!! कोई धुन खुशी का………… ये नदियों का कल,कल, हवाओं का सन, सन तुम्हे भी कोई गीत लगने लगेगा कोई प्रेम का गीत गाकर तो देखो!! […]

जिनकी कृपा कटाक्ष से ,प्रज्ञा , बुद्धि , विचार । शब्द,गीत,संगीत ,स्वर ,विद्या का अधिकार ।। विद्या का अधिकार ,ज्ञान ,विज्ञानं ,प्रेम -रस । हर्ष , मान ,सम्मान ,सम्पदा जग की सरबस । ‘ ठकुरेला ‘ समृद्धि , दया से मिलती इनकी । मंगल सभी सदैव , शारदा प्रिय हैं […]

65 वर्षों की कटीली राहो पर सिद्धान्तों के साथ चल कर एक विचारधारा को जीवन प्रयत्न जिंदा रखने वाली शख्सियत का हमारे बीच से यूँ चले जाना निश्चित ही एक स्वर्णिम सैद्धान्तिक युग का अंत होने के समान ही है। क्योंकि श्रद्धेय अटल जी किसी एक पार्टी या विचारधारा का […]

रोशनी चुभने लगी है आँखो में, एक अरसे से अंधेरे में रहा हूँ मैं, सपने आते ही नही अब सोने पर, एक अरसे से सोया नही हूँ मैं, मुस्कुराहट आती है,दर्द लिए चेहरे पर, एक अरसे से खुलकर हँसा नही हूँ मैं, समय बीत रहा जीवन का बड़ी तेजी से, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।